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देश में बढ़ते प्रदूषण पर PMO अलर्ट: धूल-धुआं संकट से निपटने को तैयार हुआ एक्शन प्लान

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नई दिल्ली 
दिल्ली और मुंबई जैसे देश के प्रमुख शहरों में प्रदूषण का स्तर इतने खतरनाक स्तर तक पहुंच गया है कि लोगों का सांस लेना दूभर हो गया है। वहीं बुजुर्गों और बच्चों के लिए यह और भी खतरनाक साबित हो रहा है। बीते दिनों नेशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल को बताया गया था कि अब तक प्रदूषण नियंत्रण के लिए जो भी कदम उठाए गए हैं वे पुराने आंकड़ों पर आधारित हैं। इसके बाद प्रधानमंत्री कार्यालय ने एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (CAQM) और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को निर्देश दिए हैं कि पता लगाया जाए कि आखिर प्रदूषण के प्रमुख और बड़े स्रोत क्या हैं।

प्रधानमंत्री कार्यालय ने कहा है कि पीएम लेवल बढ़ाने में धूल का भी बड़ा योगदान होता है। इसलिए शहरों और आसपास के ग्रामीण इलाकों की सड़कों को सुधारने का भी काम किया जाए जिससे कि वाहनों से उड़ने वाली धूल कम हो। इसके अलावा सड़क के किनार हरियाली बढ़ाई जाए जो कि प्रदूषण और धूल कड़ों को हवा के साथ घुलने से रोके। प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पीके मिश्रा ने अक्टूबर में हाई लेवल टास्क फोर्स मीटिंग की थी। इसमें आठ विभागों के सचिव भी शामिल हुए थे जिनमें पर्यावरण एवं ऊर्जा, हाउसिंग और कृषि विभाग के अधिकारी शामिल थे। इसके अलावा दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिवों को भी बैठक में शामिल किया गया था।

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मीटिंग में पीएमओ की तरफ से क्या दिए गए निर्देश
इस बैठक में पीएमओ की तरफ से प्रदूषण के प्रमुख स्रोतों पर ध्यान देने और कंट्रोल करने के निर्देश दिए गए थे। इनमें धूल, वाहनों से निकलने वाले धुएं, शहरों से निकलने वाले कचरे और पराली जलाने के साथी ही उद्योगों को लेकर निर्देश दिए गए थे। बीते बुधवार सीनयिर ऐडवोकेट संजय उपाध्याय ने नेशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल को बताया था कि प्रदूषण नियंत्रण को लेकर जो भी कदम उठाए जा रहे हैं, वे पुरानी स्टडी पर आधारित हैं।

बेहद खराब स्तर पर NCR की वायु गुणवत्ता
राष्ट्रीय राजधानी में सोमवार को वायु गुणवत्ता एक बार फिर 'बेहद खराब' श्रेणी में पहुंच गई और इस दौरान समग्र वायु गुणवत्ता (एक्यूआई) 301 दर्ज की गई। लगातार 24 दिनों तक 'बेहद खराब' और अक्सर 'गंभीर' श्रेणी के करीब रहने के बाद रविवार को दिल्ली में वायु गुणवत्ता में मामूली सुधार हुआ था और तब एक्यूआई 279 दर्ज किया गया था जो 'खराब' की श्रेणी में आता है।

हालांकि, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के 'समीर' ऐप के आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली के 38 निगरानी केंद्रों में से 24 में वायु गुणवत्ता 'बेहद खराब' श्रेणी में दर्ज की गई, जबकि शेष 14 में यह स्तर 'खराब' श्रेणी में बना हुआ है। सीपीसीबी मानकों के अनुसार, 0 से 50 के बीच एक्यूआई को 'अच्छा', 51-100 को 'संतोषजनक', 101-200 को 'मध्यम', 201-300 को 'खराब', 301-400 को 'बेहद खराब' और 401-500 को 'गंभीर' माना जाता है।

 

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